Tuesday, May 24, 2022

राष्ट्र का वीर सपूत वांचीनाथन, जो थे तमिलनाडु के चंद्रशेखर आजाद

 

                                                               राष्ट्र का वीर सपूत वांचीनाथन

ट्रेन मद्रास के रास्ते में मनियाची स्टेशन पर रुकी थी। इसके बाद पकड़े जाने से बचने के लिए उन्होंने खुद को भी गोली मार ली थी। इस रेलवे स्टेशन का नाम बाद में बदलकर वांची मनियाची कर दिया गया है।

वांचीनाथन का जन्म 1886 में सेनगोट्टई में रघुपति अय्यर और रुक्मणी अम्मल के घर हुआ था। उन्होंने पोन्नमल से शादी की और एक आकर्षक सरकारी नौकरी में भी गए थे पर देश के लिए कुछ करने को उतावले थे। 17 जून, 1911 को 25 वर्षीय वांची ने तिरुनेलवेली के जिला कलेक्टर रॉबर्ट ऐश, जो कलेक्टर दोराई के नाम से भी चर्चित थे, की हत्या कर दी। उन्होंने ऐश को पॉइंट-ब्लैंक रेंज पर उस वक्त गोली मार दी थी जब उनकी ट्रेन मद्रास के रास्ते में मनियाची स्टेशन पर रुकी थी। इसके बाद पकड़े जाने से बचने के लिए उन्होंने खुद को भी गोली मार ली थी। इस रेलवे स्टेशन का नाम बाद में बदलकर वांची मनियाची कर दिया गया है।

17 जून, 1911 को, कलेक्टर ऐश कोडाईकनाल जाने के लिए तिरुनेलवेली जंक्शन पर सुबह 9:30 बजे मनियाची मेल पर सवार हुए। उनके साथ उनकी पत्नी मैरी लिलियन पैटरसन भी थीं। वांचीनाथन गोली मारने के बाद भागकर एक शौचालय में छिप गए। कुछ देर बाद वे वहां मृत पाए गए। बाद में पता चला कि उन्होंने खुद ही अपने मुंह में गोली मार ली थी। उनके पास से बरामद पिस्तौल खाली थी।

उन्होंने ऐश को मारने के बाद खुद को मारने की योजना पहले से ही बना रखी थी और ऐश के अलावा किसी और को चोट पहुंचाने का कोई इरादा नहीं था। उनकी जेब से मिले पत्र से पता चला कि वेइंग्लैंड के म्लेच्छोंके भारत पर शासन से काफी नाराज थे क्योंकि वे सनातन धर्म को निरंतर हानि पहुंचा रहे थे। उन्होंने उस खत में लिख था कि हर भारतीय चाहता है कि अंग्रेजों को भारत से बाहर किया जाए ताकि हमें स्वराज मिल सके। इसी दिशा में यह मेरा योगदान है

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